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    छोटे कस्बे की लड़की की सफलता की मिसाल 


    अंबाला की 16 वर्षीय स्वाति को स्कॉलरशिप के जरिए सिंगापुर जाकर पढ़ने का मौका मिला था। एक छोटे से कस्बे के साधारण परिवार की इस लड़की को पता नहीं था कि यह उसके लिए बुलंदियों को छूने का मौका था। लंदन में पढ़ाई और नौकरी के दौरान कैशबैक कॉन्सेप्ट में स्वाति को बिजनेस आइडिया नजर आया जिसे उन्होंने भारत में कैशबैक वेबसाइट ‘कैशकरो’ के रूप् में लॉन्च करते हुए कामयाबी की नई मिसाल कायम की।



    अपनी 16 वर्षीय होनहार बेटी स्वाती को तरक्की का मौका देने के इच्छुक पिता ने उसे सिंगापुर एयरलाइन्स की स्कॉलरशिप के लिए आवेदन करने की सलाह दी। इस स्कॉलरशिप के लिए ऐसे 22 भारतीय स्टूडेंटस चयनित होने वाले थे जिन्होंने बारहबीं में 85 प्रतिशत से ज्यादा अंक हासिल किए थे। अंबाला जैसे छोटे से शहर की स्वाति का विदेश जाकर पढ़ाई करने के ख्याल से घबराना लाजिमी था। लेकिन पिता की जिद के चलते स्वाति ने स्कॉलरशिप के लिए आवेदन किया और परीक्षा दी। पढ़ाई में कुशाग्र स्वाति का चयन हो गया लेकिन अब परिवार के लिए अब परिवार के लिए इतनी कम उम्र में अपनी बेटी को पढ़ाई के लिए विदेश भेजने का फैसला लेना आसान नहीं था। अवसर की अहमियत को समझते हुए फिर भी उन्होंने स्वाति को सिंगापुर भेजने का निर्णय लिया। इस स्कॉलरशिप के जरिए स्वाति ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से ऑनर्स इन मैथमैटिक्स एंड इकोनॉमिक्स में दाखिला ले लिया। ग्रेजुएशन के दौरान स्वाति ने गोल्डमैन साक्स में समर इंटर्नशिप जॉइन की। इसी इंटर्नशिप में कंपनी ने उन्हें जॉब ऑफर दे दिया। डिग्री पूरी होने के बाद स्वाति ने कंपनी की इन्वेस्टमेंट बैंकिंग डिवीजन की क्रेडिट स्ट्रक्चरिंग और सेल्स टीम को जॉइन किया। चार साल बाद स्वाति को एग्जीक्यूटिव ऑफिस में क्लाइंट एंगेजमेंट और रिलेशनशिप्स की जिम्मेदारी संभालने के लिए कहा गया। सीनियर मैनेजमेंट के साथ काम करके स्वाति की कम्यूनिकेशन स्किल्स को तो धार मिली ही, उन्होंने अपने अंदर एक नया आत्मविश्वास भी पाया। इसी काम के दौरान उनकी दिल्चस्पी आंत्रप्रिन्योरशिप में जागी। वे ऐसा बिजनेस करना चाहती थीं जो एक नए आइडिया पर आधारित हो। इसी विचार के साथ स्वाति ने अपना जॉब छोड़ दिया। अपने इस अनुभव के बारे में बताते हुए स्वाति कहती हैं कि 'उस वक्त मंदी का दौर था और लोगों को नौकरी से निकाला जा रहा था, ऐसे में मेरे लिए खुद नौकरी छोड़ने का फैसला लेना काफी मुश्किल था।'

    कैशबैक को बनाया बिजनेस आइडिया


    नौकरी छोड़ने के बाद बिजनेस आइडिया की तलाश करते हुए स्वाती ने देखा कि यूके में कैशबैक का कॉन्सेप्ट काफी फल-फूल रहा था। स्वाति और उनके पति रोहन भी कैशबैक के लिए यूके की वेबसाइट क्यूइड्को का इस्तेमाल करते थे और इस कॉसेप्ट को काफी दिलचस्प मानते थे। इस लोकप्रियता को देखते हुए स्वाति ने अपने पति रोहन भार्गव के साथ कैशबैक का कारोबार शुरू करने का फैसला किया। दोनों ही फाइनेंस बैकग्राउंड से थे इसलिए उन्होंने शुरूआत के कुछ महीने कैशबैक इंडस्ट्री और ई-कॉमर्स को अच्छी तरह से समझने पर खर्च किए और 2011 में अपनी पहली यूके वेबसाइट पोरिंग पाउंड्स शुरू की। स्वाति और रोहन ने वेबसाइट की शुरूआत अपनी बचत से की और करीब 75000 डॉलर के फंडस का इंतजाम किया।



    पोरिंग पाउंड्स से कैशकरो


    कंज्यूमर्स को बचत का विकल्प देने के लिए समर्पित पोरिंग पाउंड्स को यूके में काफी पसंद किया जाने लगा। कुछ ही वक्त में इस वेबसाइट से टेस्को, डेबेनहैम्स, एमएंडएस, एक्सपीडिया और आर्गोस जैसे तकरीबन 2500 लोकप्रिय ब्रांडस जुड़ गए। वेबसाइट की सफलता से उत्साहित होकर स्वाति अपने कारोबार को विस्तार देने के बारे में सोचने लगीं। इसी दौरान उन्होंने देखा कि भारत में कैशबैक के कॉन्सेप्ट के लिए काफी स्कोप है। इस संभावना को देखते हुए स्वाति ने कैशबैक की अवधारणा को भारत लाने का फैसला किया। विस्तार के प्लान को हकीकत में बदलते हुए स्वाती ने 2013 में कैशकरो डॉट कॉम लॉन्च कर दी।



    कम वक्त में बड़ा मुकाम


    अपनी शुरूआत के पहले ही साल में कैशकरो डॉट कॉम के कारोबार में 1000 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है। यही नहीं यह वेबसाइट देश की प्रमुख 500 ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए लगभग 150 करोड़ के रिटेल कारोबार का जरिया बनी। आज कैशकारो डॉट कॉम रोजाना 3000 से ज्यादा ट्रांजैक्सन को अंजाम देती है और अपने मेम्बर्स को 5 करोड़ रूपए से ज्यादा का कैशबैक दे चुकी है। वेबसाइट की तरक्की से खुश स्वाति को पूरा यकीन है कि अगले दो वर्षो में कैशकारो 30 मिलियन डॉलर के रेवेन्यू के साथ सभी तरह के डिस्काउंट्स, ऑफर्स, वाउचर्स आदि के लिए देश की सबसे बड़ी बेबसाइट का मुकाम हासिल कर लेगी।

    राह में मिलीं चुनौतियां भी


    कैशकरो की लॉन्चिंग से पहले स्वाति के लिए यह सुनिश्चित करना जरूरी था कि कैशबैक का कॉन्सेप्ट संभावित ई-रिटेलर पार्टनर्स अच्छी तरह से समझ पाएं क्योंकि तभी इसे कस्टमर्स तक पहुंचाया जा सकता है। इस प्रक्रिया में मित्रा, जबॉन्ग, पेटीएम, अमेजन जैसे ई-रिटेलर्स के साथ भागीदारी करने में करीब छह महीने का वक्त लगा। अपना अनुभव साझा करते हुए स्वाति कहती हैं कि हमें ऐसे प्रोसेसेज का इस्तेमाल करना था जिनसे रिटेलर्स से मिलने वाला कमीशन समय पर आ सके और कस्टमर्स को भी वक्त पर कैशबैक किया जा सके। इस दौरान हमने जो सावधानियां बरतीं और जो सबक सीखे उससे हमारे कस्टमर्स की संख्या और पार्टनर बेस में इजाफा होने में मदद मिली है। आज रिटेलर्स हमसे जुड़ने के लिए खुद संपर्क करते है। स्वाति का मानना है कि चुनौतियां भले ही मंजिल को मुश्किल बनाती हैं, लेकिन उनसे मिलने वाला अनुभव सफलता के नए कीर्तिमान बनाने में मददगार साबति होता है।

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